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संस्कार ही बच्चों को नशे से बचा सकते हैं- मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत

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बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से ‘बच्चों में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति, रोकथाम और पुनर्वास’ विषय पर देहरादून में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का शुभारम्भ मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने दीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि युवाओं में नशे की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है, नशा समेत तमाम विकृतियों से बच्चों को बचाने के लिए उन्हें संस्कारवान बनाना होगा। संस्कारित बच्चे जीवन के किसी भी क्षेत्र में असफल नहीं होते। इसके अलावा उन्होंने कहा कि नशा मुक्ति को लेकर जमीनी स्तर पर जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चे स्कूल से ज्यादा समय अपने घर पर बिताते हैं, लिहाजा बच्चों को संस्कारवान बनाने की जिम्मेदारी अभिभावकों की भी है। बच्चों की गतिविधियों पर बराबर नजर बनाने की जरूरत है ताकि उन्हें गलत दिशा में जाने से रोका जा सके। उन्होंने कहा कि पश्चात्य देश भारतीय संस्कृति की महानता को समझ चुके हैं, इसलिए अब वह हमारी संस्कृति का अनुसरण कर रहे हैं। लेकिन चिंताजनक बात यह है कि हमारे देश के युवा पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित हो रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि नशा मुक्ति के लिए चलाए जा रहे अभियान में सिर्फ सरकारी प्रयास ही पर्याप्त नहीं हो सकते इसके लिए सामाजिक संगठनों, संस्थाओं और समाज के गणमान्य लोगों को भी आगे आना होगा। नशा विमुक्ति को लेकर व्यापक जन जागरूकता अभियान चलाए जाने की भी आवश्यकता है।

बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी ने कहा कि उत्तराखण्ड में आयोग ने वर्ष 2018 को नशे के खिलाफ अभियान शुरू किया था जो निरन्तर जारी है। खासकर नशे में लिप्त बच्चों की पहचान कर उनके रेस्क्यू व पुनर्वास किया जा रहा है। आयोग के इस अभियान को अच्छा जनसमर्थन मिल रहा है। बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सचिव सुश्री झरना कामठान ने कहा कि आयोग की पहल पर उत्तराखण्ड में नशे के कारोबारियों के खिलाफ अब तक 930 मामले पंजीकृत हुए हैं। यह कार्रवाई जारी है। कार्यशाला में उत्तर प्रदेश, चण्डीगढ़ समेत कई प्रदेशों के बाल अधिकार संरक्षण आयोग अध्यक्ष अथवा सदस्य मौजूद रहे।