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शिक्षक दिवस- प्रो. संतोष मिश्रा ने स्थापित की व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी तो शिक्षिका सुधा पैन्यूली ने स्थापित किया एकलव्य बर्थेडे गार्डन।

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देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। उनका जन्म 5 सितंबर 1888 को हुआ था। भारत में साल 1962 से शिक्षक दिवस मनाया जाता है, इसी साल मई में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने देश के दूसरे राष्ट्रपति के तौर पर पदभार संभाला था। इससे पहले 1952 से 1962 तक वो देश के पहले उपराष्ट्रपति रहे थे।

5 सितंबर शिक्षक दिवस के अवसर पर आज हर कोई अपने गुरुओं को याद कर रहा है। हर वर्ष भारत सरकार शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित करती है। इस वर्ष राष्ट्रीय पुरस्कार पाने वालों में दो शिक्षक उत्तराखण्ड से भी हैं। उत्तराखण्ड से इस साल पुडकुनी जीएचएसएस के प्रधानाचार्य डॉ. केवलानंद कांडपाल और कालसी स्थित एकलव्य मॉस आवासीय स्कूल की उप प्रधानाचार्य सुधा पैन्यूली सम्मानित होंगी। इस साल कोरोना संकट के चलते यह पुरस्कार ऑनलाइन ही दिए जा रहे हैं।

राष्ट्रीय़ पुरस्कार से सम्मानित शिक्षिका सुधा पैन्यूली-

राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चयनित होने के दिन ही शिक्षिका सुधा पैन्यूली खुशी जाहिर करते हुए इसे एक टीम वर्क बताकर अपने सभी सहयोगियों का आभार व्यक्त किया था। उन्होंने कहा कि एक लंबी सर्विस के बाद यह पुरस्कार मिला है, जब हम काम करते हैं, तो यह कभी नहीं सोचते की इसका रिजल्ट पुरस्कार होगा। उन्होंने इसका श्रेय अपने गुरूजनों व सहयोगी स्टाफ को दिया है, उन्होंने कहा कि यह एक टीम वर्क का उदाहरण है। उन्होंने कहा कि हमने कुछ इनोवेशन किए हैं, इसमें एकलव्य बर्थडे गार्डन  स्थापित करना भी एक इनीसेशन है। जिसमें कि हर बच्चा अपने जन्मदिन के अवसर पर एक पौंधा लगाता है। बच्चों की बदौलत हमने इस एक्सपेरिमेंट को धरातल पर उतारा है। उन्होंने इस पुरस्कार का श्रेय अपने पिता जी को दिया है।

व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से छात्रों की समस्याएं दूर करते शिक्षक –

हल्द्वानी एमबीपीजी कॉलेज प्रोफेसर डॉ. संतोष मिश्रा शिक्षण कार्यों के साथ ही अपने विभिन्न सामाजिक कार्यों के लिए जाने जाते हैं। सर्दियों के मौसम में गरीब लोगों को गर्म कपड़े मुहैया कराना हो या कोई और सामाजिक कार्य संतोष मिश्रा इसके लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। कोरोना काल में ऑनलाइन शिक्षा की आवश्यकता महसूस हुई तो संतोष मिश्रा ने साथी शिक्षकों के साथ मिलकर ऑनलाइन शिक्षा के लिए व्हाट्सएप को बड़ा हथियार बनाया। उन्होंने साथी शिक्षकों के साथ मिलकर व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी बनाई है। इसके माध्यम से वे छात्रों की समस्याओं को शिक्षकों और विशेषज्ञों द्वारा दूर करवाते हैं। इस व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के जरिए अब तक दो हजार से ज्यादा छात्रों को विशेषज्ञों द्वारा बनाए गए नोट्स भी उपलब्ध कराए गए हैं। इसके लिए डॉ. संतोष मिश्रा 40 से ज्यादा शिक्षकों और विशेषज्ञों की मदद ले रहे हैं। डॉ. मिश्रा हिंदी के प्रोफेसर हैं वे शिक्षण कार्य के अलावा समाज में जागरूकता पैदा करने काम भी करते आ रहे हैं। संतोष मिश्रा को उनके इन कार्यों के लिए हिमालयन एजुकेशनल रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसायटी द्वारा शिक्षा श्री पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है।