Home उत्तराखंड पेंशन के लिए दर-दर भटक रहे सेवानिवृत्त​ आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी।

पेंशन के लिए दर-दर भटक रहे सेवानिवृत्त​ आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी।

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सेवानिवृत्त आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी पेंशन के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। कोषागार पेंशन निदेशालय की ओर से 14 अगस्त को जारी एक आदेश ने इन चिकित्साधिकारियों की परेशानी बढ़ाई है। सेवानिवृत्त चिकित्सा अधिकारी डॉ. वी. सी. गैरोला ने बताया कि कोषागार पेंशन निदेशालय की ओर से 14 अगस्त को जारी आदेश के अनुसार आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारियों को तदर्थ सेवाओं के आधार पर दिए गए वित्तीय लाभ का परीक्षण करने को कहा है। जिसमें अक्टूबर 2005 के बाद विनियमित हुए चिकित्सकों को पेंशन और सेवा का लाभ नहीं दिया जाएगा। सेवानिवृत्त चिकित्सा अधिकारियों ने उनसे पेंशन की सुविधा छीनने का विरोध किया है।

राजकीय आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ(पंजीकृत) के प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ. डी. सी. पसबोला द्वारा सेवानिवृत्त आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारियों को पेंशन एवं सेवा के लाभ से वंचित रखने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया, क्योंकि पेंशन को जीने का अधिकार कहा गया है। उनके द्वारा जानकारी दी गयी कि 2002 की विनियमितीकरण नियमावली के आधार पर 2006 में डॉक्टरों का विनियमितीकरण​ किया गया। समय पर विनियमितीकरण न करना शासन की गलती है।

प्रान्तीय महासचिव डॉ. हरदेव रावत एवं प्रान्तीय उपाध्यक्ष डॉ. अजय चमोला ने कहा कि अब वृद्धावस्था​ में सेवानिवृत्त डॉक्टरों से पेंशन सुविधा एवं सेवा लाभ से वंचित करने की कार्यवाही की जा रही है, जो कि सरासर गलत है।

प्रान्तीय अध्यक्ष डॉ. के. एस. नपलच्याल एवं भूतपूर्ण अपर जिला आयुर्वेदिक​ एवं यूनानी अधिकारी, देहरादून डॉ. जे. पी. सेमवाल द्वारा भी इस आदेश को सेवानिवृत्त चिकित्सा अधिकारियों के लिए अन्यायपूर्ण बताया गया तथा राज्य सरकार से इस प्रकरण पर शीघ्रातिशीघ्र​ सकारात्मक कदम उठाए जाने की मांग की गयी है। ऐसा ना हो पाने की स्थिति में मजबूरन न्यायालय की शरण में जाने की बात कही।