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हरीश रावत ने भी झेल लिया, त्रिवेन्द्र सिंह झेल लेंगे, चाहे कुछ घायल हो जाएं- पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत।

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प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत पर लगे भ्रष्टाचार के मामलों पर हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए तो वहीं सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल इस पर रोक लगा दी है। इस मामले से उत्तराखण्ड की राजनीति खासी गर्माई हुई है। विपक्ष ने मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग की है, वहीं कांग्रेस ने कल इस मुद्दे पर राजभवन कूच किया और मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग की है। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के इस्तीफे की मांग की है, औऱ सोशल मीडिया पर प्रदेश में अब तक हुए स्टिंग प्रकरणों का दर्द बयां किया है।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की फेसबुक वॉल से- 

मैं जहां आजकल रहता हूं, वहां थोड़ा एकांत है। मैं एकांत में सोच रहा था कि, सम्मानित #हाईकोर्ट ने जो जजमेंट दिया अब उस जजमेंट के आलोक में इतना निश्चित है कि श्री त्रिवेंद्र सिंह जी की सरकार जानी चाहिये, क्योंकि सम्मानित हाईकोर्ट ने बहुत महत्वपूर्ण और स्पष्ट आदेश सी.बी.आई. जांच का दिया है, यदि इसके बावजूद श्री त्रिवेंद्र जी की सरकार बनी रहती है तो यह राजनीतिक बेहयाई होगी, मगर मामला यहीं पर समाप्त नहीं हो रहा है, यह तीसरी सरकार है जिसको स्टिंग का दंश झेलना पड़ा है।

पहली सरकार डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक जी की थी, वो भी उत्तराखंड से घायल होकर के गये थे, दूसरी सरकार #हरीश_रावत की थी जिसको ऐसी राजनीतिक अस्थिरता झेलनी पड़ी कि राज्य के विकास और प्रशासनिक स्थिरता पर गहरी चोट पड़ गई, बल्कि उसी दिन शुरुआत हो गई कि हम 70 की विधानसभा में 11 पर आकर ठहर गये और अब श्री #त्रिवेंद्र_सिंह जी की सरकार है। जरा आप गहराई से विवेचना करें, क्या ये सारे कालखंड में हुये स्टिंग सार्वजनिक जीवन में स्वच्छता के पक्ष में हुये हैं या राजनीतिक बेईमानी और आर्थिक ब्लैक मेलिंग के लिये हुये हैं? सार्वजनिक जीवन में यदि पत्रकार स्टिंग करते हैं तो मैं उसका स्वागत करता हूं, मगर उद्देश्य यदि कुछ और हो तो राज्य के लिए यह स्थिति खतरनाक है।

#पोखरियाल जी झेल गये, #हरीश रावत ने भी झेल लिया है, #त्रिवेंद्र सिंह जी झेल लेंगे, झेल लेंगे चाहे कुछ घायल हो जाएं, मगर राज्य पर तो निरंतर घाव लगते जा रहे हैं। #भाजपा चाहे कितना ही हम पर दोष मढ़ने की कोशिश करे, मगर इस स्टिंग के मास्टर को उत्तराखंड में खड़ा करने के लिये जो लोग भी दोषी हैं, वो सब भाजपा में विद्यमान हैं और समय-समय पर भाजपा के नेताओं ने अपनी राजनीति के लिये इसका उपयोग भी किया है, आज उनके मुख्यमंत्री इस स्टिंग की चपेट में हैं, तो भाजपा फड़फड़ा रही है, मगर यह सत्य भाजपा झुठला नहीं सकती कि माननीय हाईकोर्ट का जो आदेश है, वो गंभीर है।

तकनीकी आधार पर माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भले ही हाईकोर्ट के आदेश के क्रियान्वयन के क्रियान्वयन के एक हिस्से पर रोक लगा दी है, मगर शेष आदेश तो अपनी जगह पर खड़ा है, इसलिये #मुख्यमंत्री जी से नैतिक आधार पर त्यागपत्र मांगना तर्कसंगत है।