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Covid-19 – आखिर लॉकडाउन की फिर क्यों हो रही वापसी ? बीते लॉकडाउन में क्या रही उत्तराखण्ड की स्थिति।

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उत्तराखण्ड में कोरोना की रफ्तार पिछले कुछ दिनों से बढ़ चुकी है। जो कि शासन-प्रशासन के लिए भी चिंता का कारण है। जिसके बाद एक बार फिर लॉकडाउन लागू करने पर विचार चल रहा है। इस बीच मुख्यमंत्री त्रिवेनद्र सिंह रावत ने कहा है कि व्यापारियों चाहते हैं कि सप्ताह में 5 दिन ही बाजार खुले जिसे देखते हुए शनिवार-रविवार लॉकडाउन किया जाएगा। फिलहाल यह व्यवस्था इस सप्ताह तक के लिए रहेगी, आगे के लिए इस पर फिर से विचार किया जाएगा।

कोरोना वायरस को देखते हुए 19 मार्च को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए 22 मार्च को जनता कर्फ्यू का ऐलान किया था। जनता ने भी देशहित में खुद अपने आप पर कर्फ्यू लगा लिया, क्योंकि वह रविवार का दिन था। इससे बहुत कम लोगों की जिंदगी में खलल पड़ा। वहीं 24 मार्च को रात 8 बजे एक बार फिर प्रधानमंत्री ने देश को संबोधित किया और देश कोे 21 दिन के लिए लॉकडाउन करने की घोषणा की।

वहीं उत्तराखण्ड की बात की जाए तो यहां 23 मार्च से ही 31 मार्च तक लॉकडाउन घोषित कर दिया गया था। वो 23 मार्च और आज 17 जुलाई है, प्रदेश में फिर से सप्ताह में दो दिन लॉकडाउन किए जाने पर विचार किया जा रहा है। इस बीच प्रदेश के कुछ जिलों में बीच-बीच में ऐसा प्रयोग किया भी जा चुका है। जून माह में देहरादून जनपद में शनिवार व रविवार पूर्ण लॉकडाउन लागू किया गया। तो वहीं ऊधमसिंह नगर जिले के प्रमुख शहरों में 17 जुलाई तक लॉकडाउन चल रहा है।

अब एक बार फिर लॉकडाउन करने पर विचार किया जा रहा है लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि लॉकडाउन से आखिर हासिल क्या होगा ? हालांकि एक्सपर्ट ने कोरोना की चैन तोड़ने को लॉकडाउन कारगर उपाय बताया है। आइए एक नजर डालते हैं बीते लॉकडाउन के दौरान उत्तराखण्ड में कोरोना की क्या स्थिति रही- उत्तराखण्ड में पहला कोरोना पॉजिटिव केस 15 मार्च को सामने आया। वहीं 14 अप्रैल को समाप्त हुए पहले  लॉकडाउन के बाद प्रदेश में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़कर 37 हो गई।

वहीं एक बार फिर 15 अप्रैल से 3 मई तक लॉकडाउन लागू हुआ। इस दौरान भी प्रदेश में कोरोना संक्रमितों की संख्या में इजाफा हुआ 3 मई तक प्रदेश में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़कर 60 हो गई। इस दौरान 1 मई को प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीज की मौत का मामला भी सामने आया। वहीं देश में एक बार फिर लॉकडाउन बढ़ा जिसकी अवधि 4 मई से 17 मई तक कर दी गई। 18 मई तक प्रदेश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 96 हो गई। देश में कोरोना के बढ़ते मामलों के देखते हुए 18 मई से फिर 31 मई तक लॉकडाउन लागू कर दिया गया, हालांकि इस दौरान कई छूट भी दी गई, उत्तराखण्ड में इस दौरान कई प्रवासियों की घर वापसी भी हुई, जिसके चलते कोरोना ने भी रफ्तार पकड़ी और 31 मई तक कोरोना मरीजों की संख्या 8 सौ से अधिक हो गई।

31 मई को लॉकडाउन का नाम लोगों की जुबान से हटा भी नहीं था कि एक और लफ्ज आ गया अनलॉक-1जिसके तहत गृहमंत्रालय ने कंटेनमेंट जोन क्षेत्रों को छोडकर बाकी जगहों से लगभग सारी पाबंदियां हटा ली, और यह अनलॉक 30 जून तक चला। उत्तराखण्ड में इस दौरान कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या में और अधिक इजापा हुआ 30 जून तक प्रदेश में कोरोना मरीजों की संख्या 2800 से अधिक हो गई। हालांकि बढ़ते केसों के बीच भी प्रदेश के मुख्यमंत्री समय-समय पर अधिकारियों से फीडबैक लेते रहे और आवश्यक दिशा-निर्देश देत रहे। मुख्यमंत्री ने स्थिति को नियंत्रण में बताया लेकिन आगे के लिए आगाह भी करते रहे।

अब 1 जुलाई से अनलॉक-2 जारी है, लेकिन अनलॉक-2 में देश के साथ प्रदेश में भी हालात बद से बदतर हो रहे हैं। 16 जुलाई को स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी हेल्थ बुलेटिन में प्रदेश में 199 नए कोरोना पॉजिटिव केस सामने आए जिससे शासन-प्रशासन की चिंता बड़ी है, मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को कोरोना की रोकथाम के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। प्रदेश में हालात चिंताजनक होना कहीं न कहीं प्रदेश में पर्याप्त स्वास्थ्य का अभाव होना भी है। हालात यह हैं कि कुमांऊ मण्डल में चार माह बाद भी कोरोना जांच रिपोर्ट मिलने में 3 से 4 दिन का समय लग रहा है। जिस तेजी से संक्रमण बढ़ा है उस तेजी से अस्पतालों में संसाधन नहीं बढ़ पाए हैं। प्रदेश में इस समय गढ़वाल मण्डल में 8 लैबों में तो वहीं कुमाऊं मण्डल में सिर्फ 2 लैबों में कोरोना जांच हो रही है।