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विजय दिवस पर मुख्यमंत्री ने दी शहीदों को श्रद्धांजलि

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16 दिसंबर को देश विजय दिवस के रूप में मनाता है,वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान ने हमारी सेना के अदम्य साहस के आगे घुटने टेक दिए थे। इस युद्ध में उत्तराखंड के जांबाजों ने अपनी कुर्बानी दी थी, दुश्मन सेना से लोहा लेने वाले 74 जवानों को वीरता पदक से नवाजा गया था। जबकि छह जांबाजों को वीरता का दूसरा सर्वोच्च पदक, महावीर चक्र प्रदान किया गया था।
विजय दिवस के अवसर पर उत्तराखण्ड़ में वीर सैनिकों को याद किया गया, देहरादून के गांधी पार्क में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शहीद स्मारक पर पुष्पचक्र अर्पित करते हुए शहीदों को श्रद्धांजलि दी।इस मौके पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने  कि 1971 के भारत-पाक युद्ध में भारत की तीनों सेनाओं के आपसी सामंजस्य से 95 हजार पाकिस्तानी सेना को 13 दिन के युद्ध के बाद घुटने टेकने को विवश कर दिया। इस युद्ध में उत्तराखण्ड के 248 वीर जवानों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी, जबकि 78 सैनिक घायल हुए थे। उत्तराखण्ड के 74 रणबांकुरों को वीरता पदक से नवाजा गया।देश की आजादी के बाद देश की एकता और अखण्डता के लिए जो भी युद्ध हुए, उसमें उत्तराखण्ड की अहम भूमिका रही है। राष्ट्रवाद एवं पर्यावरण के प्रति उत्तराखण्ड के लोग काफी जागरूक हैं।अब तक एक परमवीर चक्र, 06 अशोक चक्र, 100 वीर चक्र एवं 1262 वीरता पदक उत्तराखण्ड के हिस्से में आये हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के आश्रितों की पेंशन चार हजार से बढ़ाकर आठ हजार रूपये की। किसी अभियान में शहादत देने वाले सेना और अर्द्धसेना जवानों को उनकी योग्यता के अनुरूप राज्याधीन सेवाओं में नियुक्ति दी जा रही है। शहीद जवानों के आश्रितों को योग्यतानुसार राज्याधीन सेवाओं में नियुक्ति देने वाला उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य है। सैनिक परिवारों को गृह कर में पूरी छूट दी गई है। 25 लाख तक की सम्पति पर स्टाम्प ड्यूटी में 25 फीसदी की छूट दी गई है। शहीद सैनिकों के बच्चों को कक्षा एक से आठ तक 06 हजार एवं 09वीं कक्षा से पोस्ट ग्रेजुएशन तक 10 हजार रूपये की छात्रवृत्ति राज्य सरकार दे रही है।