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इंदिरा ने कहा घुड़सवार कमजोर तो प्रीतम ने कहा पंचर हो चुका है एक टायर, जानिए क्या है पूरा मामला।

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उत्तराखंड में अफसरशाही बेलगाम होती जा रही है, विधायक व मंत्रीगण अधिकारियों पर उनकी बातें नहीं सुनने के आरोप लगाते रहे हैं। इस संबंध में मुख्य सचिव द्वारा अधिकारियों को जनप्रतिनिधियों का सम्मान करने के निर्देश भी दिए जा चुके हैं, लेकिन फिर भी अधिकारियों के कामकाज व तौर तरीकों में कोई बदलाव नहीं आया।

यह मुद्दा आज उस वक्त फिर गर्मा गया जब उत्तराखंड सरकार के शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक द्वारा बुलाई गई बैठक से विभागीय सचिव नदारद नजर आए। मंत्री मदन कौशिक द्वारा विभागीय सचिवों के बैठक में नहीं पहुंचने पर नाराजगी व्यक्त की गई और वह बैठक बीच में छोड़कर चले गए। हालांकि बाद में मीडिया के सामने कौशिक ने अपनी नाराजगी को जाहिर नहीं होने दिया। उन्होंने कहा कि सूचना समय से प्राप्त न होने से सचिव नहीं आए। दोबारा बैठक होगी, जिसमें सभी सचिव उपस्थित रहेंगे।

वहीं इस मुद्दे पर विपक्ष ने सरकार को घेरा है, विपक्ष ने सरकार को ही कमजोर बताया है। प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने भी पूरे मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है और पूरे मामले पर सरकार को भी घेरा है। नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृयदेश मामले पर नौकरशाही का पक्ष लेते दिखी, उन्होेंने घोड़ा और घुडसवार का उदाहरण देते हुए कहा है कि घोड़ा अपने सवार को पहचाना है, जिसे घुडसवारी करनी आती हो उसे मंजिल तक पहुंचाती है, अन्यथा दो लात मार कर गिरा देती है।

उन्होंने कहा कि अफसरों पर बेवजह आरोप लगाने से बेहतर है सरकार को अपने कमियों के बारे में सोचना चाहिए। जब राज्य के अंदर अफसर विधायकों व मंत्रियों की नहीं सुन रहे हैं तो वह सरकार किस काम की। उन्होंने कहा हम विपक्ष में हैं और हमारी तो सब सुनते हैं, और मुख्य सचिव से लेकर जिले के अधिकारियों तक सबसे काम करना लेते हैं।

वहीं इस मामले पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह का बयान भी सामने आया है। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत सरकार और प्रशासन का समन्वय होना चाहिए, इसलिए अधिकारियों को जनप्रतिनिधियों का सम्मान करना चाहिए। प्रीतम सिंह ने राज्य सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि राज्य सरकार की गाड़ी का एक पहिया पंचर हो गया है, इसलिए अधिकारी भी सरकार की नहीं सुन रहे हैं।