Home उत्तराखंड उत्तराखंड के लोकगायक हीरा सिंह राणा का दिल्ली में निधन।

उत्तराखंड के लोकगायक हीरा सिंह राणा का दिल्ली में निधन।

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उत्तराखंड के लिए एक बेहद दुखद खबर सामने आई है। दिल्ली सरकार में गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनसारी भाषा अकादमी के उपाध्यक्ष उत्तराखंड के महान लोक गायक हीरा सिंह राणा के निधन खबर आ रही है। उनकी मौत का कारण हृदय गति रूकना बताया जा रहा है। उनके निधन से उत्तराखंड कला जगत शोक में डूब गया है। हीरा सिंह राणा के जाने से उत्तराखंड कला जगत को अपूर्णीय क्षति हुई है।

हीरा सिंह राणा का जन्म 16 सितंबर 1942 को उत्तराखण्ड के कुमाऊं मंडल के ग्राम-मानिला डढोई, जिला अल्मोड़ा में हुआ था, प्राथमिक शिक्षा मानिला से ही हासिल करने के बाद वे दिल्ली में नौकरी करने लगे।नौकरी में मन नहीं रमा तो संगीत की स्कालरशिप लेकर कलकत्ता पहुंचे और आजन्म कुंमाऊनी संगीत की सेवा करते रहे, वे 15 साल की उम्र से ही विभिन्न मंचों पर गाने लगे थे।

कैसेट संगीत के युग में हीरा सिंह राणा के कुमाउनी लोक गीतों के अल्बम रंगीली बिंदी, रंगदार मुखड़ी, सौमनो की चोरा, ढाई विसी बरस हाई कमाला, आहा रे ज़माना जबर्दस्त हिट रहे.

उनके लोकगीत ‘रंगीली बिंदी घाघरी काई,’ ‘के संध्या झूली रे,’ ‘आजकल है रे ज्वाना,’ ‘के भलो मान्यो छ हो,’ ‘आ लिली बाकरी लिली,’ ‘मेरी मानिला डानी,’ कुंमाऊनी के सर्वाधिक लोकप्रिय गीतों में शुमार हैं।