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भारत अंडर-19 वर्ल्ड कप न जीत सका, लेकिन देश को मिले ये पांच बेहतरीन खिलाड़ी।

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दक्षिण अफ्रीका में सम्पन्न हुए अंडर-19 वर्ल्ड कप में भारत भले ही विश्व कप नहीं जीत सका, लेकिन इस टूर्नमेंट ने उसे कुछ ऐसे नायाब खिलाड़ी दे दिए हैं, जो आगे चलकर टीम इंडिया में जगह बनाकर कई टूर्नामेंट जिता सकते हैं।

भारत व बांग्लादेश के बीच रविवार को दक्षिण अप्रीका में अंडर-19 वर्ल्ड कप का फाइनल मैच खेला गया। फाइनल में बांग्लादेश ने भारत को डकवर्थ-लूइस नियम के आधार पर तीन विकेट से हराकर पहली बार वर्ल्ड कप अपने नाम किया। चार बार की चैंपियन भारतीय टीम टॉस हारकर पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 177 रन ही बना सकी सलामी बल्लेबाज़ यशस्वी जायसवाल ने 88 रन बनाए.

इसके बाद थोड़ी बारिश के चलते बांग्लादेश ने जीत के लिए दोबारा निर्धारित 170 रन का लक्ष्य कप्तान अकबर अली के नाबाद 43 और परवेज़ हुसैन के 47 रनों की मदद से 42.1 ओवरों में हासिल कर लिया।इस टूर्नामेंट में भारत फ़ाइनल के अलावा और कोई मैच नहीं हारा।

इस बार अंडर-19 विश्व कप क्रिकेट टूर्नामेंट में वैसे तो तमाम भारतीय खिलाड़ियों ने फ़ाइनल के अलावा अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन इसके बावजूद कम से कम पाँच ऐसे खिलाड़ी निखरकर सामने आए हैं, जो आने वाले समय में भारत की उम्मीदों का भार उठा सकते हैं। इनमें सलामी बल्लेबाज़ यशस्वी जायसवाल, उनके जोड़ीदार दिव्यांश सक्सेना, तेज़ गेंदबाज़ कार्तिक त्यागी, स्पिनर रवि बिश्नोई औरऑलराउंडर अथर्व अंकोलेकर शामिल हैं।

यशस्वी जायसवाल ने अपने बल्ले से पूरे टूर्नामेंट में ख़ूब धूम मचाई, विपक्षी गेंदबाज़ों के लिए वह सिरदर्द बने रहे और फ़ाइनल सहित छह मैचों में उन्होंने पूरे 400 रन बनाए। फाइनल से पहले उनके खाते में 312 रन थे। उन्होंने श्रीलंका के ख़िलाफ 59, जापान के खिलाफ नाबाद 29, न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ नाबाद 57, ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ 62 और पाकिस्तान के ख़िलाफ़ नाबाद और यादगार 105 रन बनाए। फ़ाइनल में बांग्लादेश के ख़िलाफ़ उन्होंने 88 रन बनाए, बाएं हाथ के बल्लेबाज़ यशस्वी जायसवाल की सबसे बड़ी ख़ूबी उनकी आक्रामकता और मज़बूत डिफ़ेंस है, वह चाहें तो लम्बे समय तक रक्षात्मक और चाहें तो आक्रामक बल्लेबाज़ी भी कर सकते हैं।

दिव्यांश सक्सेना भी यशस्वी जायसवाल की तरह ख़ब्बू सलामी बल्लेबाज़ हैं। उन्होंने इस विश्व कप में सेमीफ़ाइनल में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ नाबाद 59 और न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ नाबाद 52 रन की दो अर्धशतकीय पारियां खेलीं। इसके अलावा उन्होंने श्रीलंका के ख़िलाफ़ 23 और जापान के ख़िलाफ़ नाबाद 29 रन भी बनाए। दरअसल इन दोनों बल्लेबाज़ों ने पूरे टूर्नामेंट में भारत का काम इतना आसान कर दिया कि बाकी बल्लेबाज़ो को एक-दो मैच में ही कुछ करने का अवसर मिला।

बल्लेबाज़ों के दबदबे के बीच अगर कोई एक गेंदबाज़ अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहा तो वह है अपनी गुगली से किसी भी बल्लेबाज़ को चकमा देकर विकेट लेने में माहिर राजस्थान के रवि बिश्नोई, उन्होंने पूरे टूर्नामेंट में 17 विकेट अपने नाम किए। बांग्लादेश के ख़िलाफ़ उन्होंने फाइनल में 30 रन देकर चार विकेट हासिल किए, इससे पहले उन्होंने श्रीलंका के ख़िलाफ़ 44 रन देकर दो विकेट लिए, लेकिन अगले ही मैच में उन्होंने जापान के ख़िलाफ़ केवल पांच रन देकर चार विकेट हासिल किए। इसके अलावा उन्होंने न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ भी 30 रन देकर चार विकेट हासिल किए। ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ उन्हें एक और पाकिस्तान के ख़िलाफ़ दो विकेट मिले। रवि बिश्नोई कम उम्र में ही राजस्थान की टीम में भी अपनी जगह बना चुके है. वह राजस्थान के लिए छह टी-20 और छह लिस्ट ए मैच भी खेल चुके है, उनकी तेज़ होती स्पिन और गुगली उनका हथियार है।

उत्तर प्रदेश के दाएं हाथ के मध्यम तेज़ गति के गेंदबाज़ कार्तिक त्यागी ने भी इस टूर्नामेंट में अपनी छाप छोड़ी है। उन्होंने 140 किलोमीटर की गति से गेंद कर विरोधी बल्लेबाज़ों को हैरान किया। उनका सबसे शानदार प्रदर्शन ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ रहा, उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ केवल 24 रन देकर चार विकेट हासिल किए। इसके अलावा उन्होंने जापान के ख़िलाफ़ तीन, पाकिस्तान के ख़िलाफ़ दो, न्यूज़ीलैंड और श्रीलंका के ख़िलाफ़ एक-एक विकेट हासिल किया।

वहीं खब्बू ऑलराउंडर अथर्व अंकोलेकर इस विश्व कप में भारत के लिए बेहद उपयोगी साबित हुए, अगर उन्हें छुपा रुस्तम कहा जाए तो ग़लत नहीं होगा। वह बल्लेबाज़ और लेग स्पिनर हैं।उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ नाबाद 55 रन बनाकर दिखाया कि मध्यमक्रम में बल्लेबाज़ी में उन पर भरोसा किया जा सकता है। अथर्व अंकोलेकर ने न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ तीन और पाकिस्तान के ख़िलाफ़ एक विकेट भी हासिल किया। वह स्वभाविक रूप में बाएं हाथ के लेग स्पिनर हैं, और अपनी धीमी फ्लाइटेड गेंदों के माहिर हैं।